----- ।। उत्तर-काण्ड ५३ ।। -----
पहुँच आसु करि कुस कै आगे । अनेकानेक सर छाँड़न लागे ॥ बधि बधि भाल बदन कर बाहू । भेद मर्म दिए दारुन दाहू ॥ करिअ बिकलतर अस रे भाई । घायल व्यथा कहि नहि जाई ॥ तब कुस रिजु कस सर दस मारे । सुरथन्हि रथ सोंहि...
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रविवार, ३१ जुलाई, २०१६ तुम त्रिकाल दरसी रघुनाथा । बिस्व बदर जिमि तुहरे हाथा ॥ लोगहि चरन सरन जिअ जाना ।...
View Article----- ॥ दोहा-पद॥ -----
घनक घटा गहराए जिमि भोर लखइ नहि भोर । झूलए झल जल झालरी मुकुताहल कर जोर ॥
View Article----- ॥ टिप्पणी १० ॥ -----
अपनी बिरादरी के सहयोग से पड़ोसी कश्मीर को मार्ग बना कर देश में अंतरस्थ हो गया है , और ई मंत्री जी सीमापार कर प्रोटोकॉल मांगने गए थे ? घर में ही काहे नहीं दे दिए..... राजू : -- हाँ तो जब शत्रु अपने...
View Article----- ॥ टिप्पणी ९ ॥ -----
>> राजू : -- हगने की कहीं प्रतियोगिता हो तो ये हगरू प्रथम स्थान प्राप्त करेगा.....>> ग़रज़ी गराँ कीमती उस चीज का क्या कीजिये, मिले जो गरीबे-ग़म से गुज़रने के बाद ही.....>>...
View Article----- ।। उत्तर-काण्ड ५५ ।। -----
बुधवार, २४ अगस्त, २०१६ सिय केर सुचित मद मानद हे । तव सहुँ छदम न कोइ छद अहे ॥ न तरु हमहि न देवन्हि सोंही...
View Article----- ॥ दोहा-पद॥ -----
लघुवत वट बिय भीत ते उपजत बिटप बिसाल । बिनहि बिचार करौ धर्म पातक करौ सँभाल ॥ १ ॥ भावार्थ : -- एक लघुवत वट बीज के भीतर से एक विशाल वृक्ष उत्पन्न होता है । अत: पुनीत कार्य करते समय उसके छोटे बड़े स्वरूप का...
View Article----- ॥ टिप्पणी ७ ॥ -----
>> रक्त-सम्बंधित बहुंत से अनुसंधान होने बाकी हैं केवल वर्ग मिलान से संतुष्ट नहीं होना चाहिए.....रोगी को निकट संबंधियों का ही रक्त देना चाहिए तत्पश्चात अन्य का.....>> पश्चिमी देशों में...
View Article----- ॥ टिप्पणी १० ॥ -----
>> भारत में अब भी मुसलामानों का ही राज है, काले नोट पर लाल किले को देखकर ऐसा मेरे को ही लगता है की आप लोंग को भी लगता है.....? >> 'अपनी सत्ता -अपनी मुद्रा 'अब देश इस मुद्रा व्यवस्था के लिए...
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अति बिनैबत धरत महि माथा । लषन प्रनाम करत रघुनाथा ॥ लखि अपलक अरु पलक न ठाढ़े । अबिलम मरुत बेगि रथ चाढ़े ॥ कल कीरन कर भर करषाई । सियहि आश्रमु चले अतुराई ॥ तेजस बदनु भावते जी के । रघुनाथ तनय अतिसय नीके ॥...
View Article----- ॥ फाग ॥ -----
धरे रुरियारे रंग, बन फिरिति पतंग, दए फगुनिया पुकारि के होरी में..,मनि मोतियाँ ते भरी बलपरी फूरझरी छरहरी डोरी डार के होरी में..,रंग लाल लाल बिहंग लाल लाल,गगन गगन उरति पतंग लाल लाल, बूझती अली अली उरि...
View Article----- ॥ राग भैरवी ॥ -----
काहे न मानस जनम गवाए,जग नर नारि चारि बस करियो,भोगहि भूरि बिषय अधिकाए । हाटहि हाट बैस चौहाटे, बिचवइ कर कर बिकता जाए । नीची करनी नीच न करनी, उँच उँच ऊँचे मोल बिकाए । देह अमोली बहु समझायो, ओहि केहि बिधि...
View Article----- ॥ रंग -धूरि ॥ -----
उरियो नहि सेंदुरी ऐ री रंग धूरि कुञ्ज गलिअ कर कुसुम कलिअ यहु अजहूँ न पंखि अपूरि ॥ कहइ बिसुर बल बल गल बहियाँ ओहि जोरे अंज अँजूरि ॥ अंक ही अंक गहि पलुहाई मैं कल परसोंहि अँकूरि ॥ एहि मधुबन रे मोरे...
View Article----- ॥ सेंदुरी रंग -धूरि ॥ -----
उनिहौ रे सेंदुरी ऐ री रंग धूरि पलहि पलव नील नलिन नव नव जिमि जलहि दीप लव रूरि । तरु तमाल दए तिलक भाल तव तिमि सोहिहि छबि अति भूरि ॥ बिभौ बदन घन स्याम सुन्दर सिरौपर पँखी मयूरि । पहिरै सुरुचित पीत झगुरिया...
View Article----- ॥ सेंदुरी रंग -धूरि ॥ -----
उरियो रे सेंदुरी ऐ री रंग धूरि, पलहिं उत्पलव नील नलिन नव जिमि जलहिं दीप लव रूरि । ललित भाल दए तिलक लाल तव तिमि सोहहि छबि अति भूरि ॥ हनत पनव गहन कहत प्रिया ते अजहूँ पिय दरस न दूरि । करिअ बिभावर नगर...
View Article----- ॥ पाखंड-वाद ॥ -----
"मिथ्या द्वारा यथार्थ के स्वांग का सार्वजनिक प्रदर्शन पाखण्ड वाद है...."दूसरे शब्दों में आप जो नहीं हैं वह होने का प्रदर्शन करना पाखण्ड वाद है,सत्ता केर स्वाद हुँत प्रसरा पाखण्ड वाद । नव नूतन नहि...
View Article----- ॥ टिप्पणी १० ॥ -----
>> प्रतिदिन छत पर थोड़े से दाने व कसोरे में पानी रखिए फिर देखिये,आपके घर के आसपास, कौंवा,चिड़िया,कबूतर कोयल गाने लग जाएंगीराजू : --हाँ और आप घर बैठे कवि बन जाएंगे वो भी बड़े वाले........
View Article----- || चलो कविता बनाएँ || -----
हाथोँ हाथ सूझै नहि घन अँधियारी रैन | अनहितु सीँउ भेद बढ़े सोइ रहे सबु सैन || १ || रतनधि धर जलधि जागै,जागै नदी पहार | एक पहराइत सोए रह,जागै सबु संसार || २ || क्रमश:
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मंगलवार,२५ अप्रेल,२०१७ पुनि जलहि कर जोर जोहारे | सजिवनिहु जियन तुअहि निहारे || आरत जगत राम सुखदाता | त्रसित जीउ के...
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शनिवार २६ दिसंबर, २०१५ सदा रघुबर सरन महुँ रहियो । कर छबि नयन चरन रहि गहियो ॥ स कह सर्जन के करतारी । जग पालक जग...
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