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Channel: NEET-NEET
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----- ॥ टिप्पणी १० ॥ -----

>> "हिंसक मानसिकता अपराधिक प्रवृति को प्रोत्साहित करती है"हमारे नगर में पास के एक होटल में मनुष्य का मांस ४००/- प्रतिकिलो की दरसे बिकता मिला | प्रतिरोध करने पर खाने वाले ने तर्क दिया ये मेरा...

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----- || चलो कविता बनाएँ 2 || -----

बिटिया मेरे गाँउ की,पढ़न केरि करि चाह |  दरसि दसा जब देस की पढ़न देइ पितु नाह || १ || भावार्थ :-- एक कहानी सुनो :-- मेरे गाँव की एक बिटिया थी उसकी पढ़ने-लिखने की प्रबल  इच्छा थी देश की हिंसक व् व्यभिचारी...

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----- ।। उत्तर-काण्ड ५८ ।। ----

मंगलवार, ०६ जून,२०१७                                                                                            रघुनायक प्रति भगतिहि जिनकी  | होइहि अवसिहि सद्गति तिनकी || जोइ भगवन चरन रति राखिहि |...

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----- || दोहा-एकादश || -----

आपद काल महुँ चाहिए सासक की कुसलात | सठता पन हठधर्मिता तबकछु काम न आत || १ || भावार्थ : -- संकट काल में शासक की दुष्टता व् हठधर्मिता अनपेक्षित परिस्थितियां उत्पन्न करने के लिए बाध्य करती हैं ऐसी विपरीत...

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---- || दोहा-एकादश || -----

सासक मिलना सरल है मिलना कठिन किसान |रक्त सीँच जो आपुना उपजावै धन धान || १ || भावार्थ : -- आज शासक सरलता से मिलने लगे है किसान का मिलना कठिन हो गया है कारण कि किसान खेत को रक्त से सींच सींच कर अन्न...

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---- || दोहा-एकादश || -----

रत्नेस ए देस मेरा होता नहि दातार | देता सर्बस आपुना बदले माँगन हार || १ || भावार्थ :-- जो स्वयं को विकसित राष्ट्र कहने वालों को लज्जित होना चाहिए | उनकेयहाँ आपदाओं का कोई प्रबंधन नहीं है, धनी होकर भी...

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----- || दोहा-एकादश || -----

सब जगज जन भगवन कृत इहँ कन कन उपजोगि | जो कहँ ए केहि जोग नहि सो तो मानसि रोगि || ११ || भावार्थ : -- यह चराचर जगत ईशवर की कृति है यहां कण-कण उपयोगी है | जो यह कहता पाया जाए कि यह जीव अथवा अजीव किसी योग्य...

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----- ॥ टिप्पणी ११ ॥ -----

>> एक डाकू भी अपने दल का नेतृत्व करता है.....,एक महापुरुष ही सन्मार्ग प्रदर्शित करता हैं वह चाहे शासन में हो अथवा अनुशासन में..... >> जनमानस के दास भए सेवा धर्म निभाउ | भाउ रहते भाउ रहे...

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----- || दोहा-एकादश || -----

अबिकसित तन मति अरु मन बिनु कारज कुसलात | अस जनमानस संग सो  देस दरिद कू पात || १ || भावार्थ : -- जहाँ शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास से न्यून व् कार्य कुशलता के अभाव से युक्त जनमानस हो वह राष्ट्र...

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----- || दोहा-एकादश || -----

धरम अनादर मति करो होत  होत जहाँ अवसान | ताहि  कंधे पौढ़त सो पहुँचे रे समसान || १ || भावार्थ : --  सत्य,तप,दया और दान आदि धर्म साधारण धर्म है जो सभी मनुष्यों होना चाहिए | मनुष्य को असाधारण धर्म का भी...

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----- ॥ टिप्पणी १२ ॥ -----

>> गौरक्षकों का प्रतिरोध का ढंग यद्यपि  बुरा है भगत सिंग के जैसे उनका  आशय बुरा नहीं है, जबकि गौ हत्यारों का आशय बुरा है अमानवीय है.....मनुष्य एक शक्तिशाली प्राणी है वह मनुष्योचित धर्म की मर्यादा...

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----- || दोहा-एकादश || -----

श्रम करम गौन करत तब भयऊ अर्थ प्रधान | पददलित भए दीन हीन गहे मान धनवान || १ ||  भावार्थ : -- श्रम व कर्म को गौण कर जन संचालन व्यवस्था में अर्थ प्रधान हो गया,  इस प्रधानता से दरिद्र पद दलित होने लगे व्...

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----- || दोहा-एकादश || -----

बथुरत पूला आपना, बँधेउ पराए पूल | भरम जाल भरमाइ के  बिनसत गयउ मूल || १ || भावार्थ : --भारत वस्तुत: चार धार्मिक समुदायों के कुटुंब का राष्ट्र है, यह  कुटुंब तब बिखर गया जब इसमें  उस पराए कुटुंब को भी...

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----- || दोहा-एकादश || -----

बसति बसति बसबासता मिलिअब पर समुदाय | बसे बसेरा आपुना केहि हेतु कर दाए || १ || भावार्थ : - यदि एक पराए देश का सम्प्रदाय जब विद्यमान भारत के वस्ति वस्ति में निवासित है तब उसका विभाजन कर एक बसा बसाया...

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----- || दोहा-एकादश || -----

हाथोँ हाथ सूझै नहि घन अँधियारी रैन | अनहितु सीँउ भेद बढ़े सोइ रहे सबु सैन || १ || भावार्थ : -- जहाँ हाथों हाथ सूझता न हो जहाँ नीति व् नियमों का अभाव के सह अज्ञानता व्याप्त हो | जहाँ शत्रु सीमाओं को भेद...

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----- || दोहा-एकादश || -----

भगवन पाहि पहुँचावै दरसावत सद पंथ |धर्मतस सीख देइ सो जग में पावन ग्रन्थ || १ || भावार्थ : -  जो ग्रन्थ मनुष्य का मार्गदर्शन करते हुवे उसे ईश्वर के पास पहुंचाता हो | जो ग्रन्थ धर्म का अनुशरण कर मनुष्य को...

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----- ।। उत्तर-काण्ड ५५ ।। -----

बुधवार, २४ अगस्त, २०१६                                                                                                  सिय केर सुचितई मानद हे । तव सहुँ छदम न कोइ छद अहे ॥ न तरु हमहि न देवन्हि सोंही ।...

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----- || दोहा-एकादश || -----

बाहन ते परचित भयो बिरचत बैला गाड़ि | चरनन चाक धराई के जग ते चले अगाड़ि || १ || भावार्थ : - बैलगाड़ी की रचना के द्वारा यह विश्व वाहन से परिचित हुवा | वह जब अपने पाँव पर स्थिर भी नहीं हुवा था तब यह देश...

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----- ॥ टिप्पणी १२ ॥ -----

>> कट्टरता के नाम पर आप अपने विचार दूसरों पर लाद रहें हैं, कट्टरपंथ की आड़ में हिंसा करने की छूट किसी को भी नहीं होनी चाहिए | नेताओं की अहिंसा के सन्दर्भ में अपनी ही परिभाषा है जबकि अहिंसा का...

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----- ॥ दोहा-पद॥ -----

लघुवत वट बिय भीत ते उपजत बिटप बिसाल । बिनहि बिचार करौ धर्म पातक करौ सँभाल ॥ १ ॥ भावार्थ : -- एक लघुवत वट बीज के भीतर से एक विशाल वृक्ष उत्पन्न होता है । अत: पुनीत कार्य करते समय उसके छोटे बड़े स्वरूप का...

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