बुधवार, २४ अगस्त, २०१६
सिय केर सुचित मद मानद हे । तव सहुँ छदम न कोइ छद अहे ॥
न तरु हमहि न देवन्हि सोंही । यह कछु मन महुँ भरमन होंही ॥
हरहि तमस जिमि प्रगस पतंगा । दूरए मन निभरम ता संगा ॥
कहत सेष मुनि जगद निधाता । भगवन जद्यपि सरब ग्याता ॥
बाल्मीकि एहि बिधि समुझायउ । सुनि मुनि अस्तुति सहुँ सिरु नायउ ॥
लषन सोंहिं बोलिहि एहि बाता । सुमित्र सहित कृत करिहु ए ताता ॥
करएँ जुग कर बिनति सब कोई । करौ सकार अजहुँ सुत दोई ॥
सती सिया पहिं चढ़ि रथ जाहउ। जमल सहित तुर आनि लिवाहउ ॥
मोर अरु मुनि केर कही कहियउ तहँ सब बात ।
अवध पुरी लेइ अइहौ कहत मात हे मात ॥
अहो भगवन अजहुँ मैं जइहौं । सीतहि मातु कहत समुझाइहौं ॥
सुनिहि जो आपनि प्रिय सँदेसा । आनि पधारिहि सो एहि देसा ॥
आइहि मोर संग सिय माई । होइहि तबहि सुफल मम जाई ॥
अस कह लखनउ आगिल बाढ़े । प्रभो अग्या सोंहि रथ चाढ़े ॥
अरु मुनिबर के सिस लय संगा । सुमित्र साथ रथ भयउ बिहंगा ॥
पति पतियारिन अति परम सती । होहि केहि बिधि मुदित भगवती ॥
ब्याकुलित मानस अस सोचे । कबहुँ हरष करि कबहुँ सकोचे ॥
दोइ भाउ बिच मन बिरुझाईं । अतुरए आश्रमु दिए देखाई ।
एहि दसा पैठि रथ चरन पथ श्रमु गयउ सिराए ।
अतुरई पुनि जगन मई जननि देइ देखाए ॥
सिय केर सुचित मद मानद हे । तव सहुँ छदम न कोइ छद अहे ॥
न तरु हमहि न देवन्हि सोंही । यह कछु मन महुँ भरमन होंही ॥
हरहि तमस जिमि प्रगस पतंगा । दूरए मन निभरम ता संगा ॥
कहत सेष मुनि जगद निधाता । भगवन जद्यपि सरब ग्याता ॥
बाल्मीकि एहि बिधि समुझायउ । सुनि मुनि अस्तुति सहुँ सिरु नायउ ॥
लषन सोंहिं बोलिहि एहि बाता । सुमित्र सहित कृत करिहु ए ताता ॥
करएँ जुग कर बिनति सब कोई । करौ सकार अजहुँ सुत दोई ॥
सती सिया पहिं चढ़ि रथ जाहउ। जमल सहित तुर आनि लिवाहउ ॥
मोर अरु मुनि केर कही कहियउ तहँ सब बात ।
अवध पुरी लेइ अइहौ कहत मात हे मात ॥
अहो भगवन अजहुँ मैं जइहौं । सीतहि मातु कहत समुझाइहौं ॥
सुनिहि जो आपनि प्रिय सँदेसा । आनि पधारिहि सो एहि देसा ॥
आइहि मोर संग सिय माई । होइहि तबहि सुफल मम जाई ॥
अस कह लखनउ आगिल बाढ़े । प्रभो अग्या सोंहि रथ चाढ़े ॥
अरु मुनिबर के सिस लय संगा । सुमित्र साथ रथ भयउ बिहंगा ॥
पति पतियारिन अति परम सती । होहि केहि बिधि मुदित भगवती ॥
ब्याकुलित मानस अस सोचे । कबहुँ हरष करि कबहुँ सकोचे ॥
दोइ भाउ बिच मन बिरुझाईं । अतुरए आश्रमु दिए देखाई ।
एहि दसा पैठि रथ चरन पथ श्रमु गयउ सिराए ।
अतुरई पुनि जगन मई जननि देइ देखाए ॥