हाथोँ हाथ सूझै नहि घन अँधियारी रैन |
अनहितु सीँउ भेद बढ़े सोइ रहे सबु सैन || १ ||
रतनधि धर जलधि जागै,जागै नदी पहार |
एक पहराइत सोए रह,जागै सबु संसार || २ ||
क्रमश:
अनहितु सीँउ भेद बढ़े सोइ रहे सबु सैन || १ ||
रतनधि धर जलधि जागै,जागै नदी पहार |
एक पहराइत सोए रह,जागै सबु संसार || २ ||
क्रमश: