Quantcast
Channel: NEET-NEET
Browsing all 283 articles
Browse latest View live

----- ॥ दोहा-पद 9॥ -----

        ----- || राग-भैरवी ||-----ओ री मोरी सजनी तुअ नैहर न जइहो | न जइहो न जइहो तुअ नैहर न जइहो || १ || मैं सावन अरु तुम बन मेहा  नेहु घन रस बरखइयो | मैं पावस तुम घोर घटा री  घेरि गगन गहरइयो || २ ||...

View Article


----- ॥ दोहा-पद 10 ॥ -----

-----|| राग मेघ-मल्हार || -----घेरि घटा नभ घनकत घोरा |छाए पिया पावस चहुँ ओरा || १ ||थिरकत नदि जल झर झर झरे, पाँउ परे झनकत रमझोरा || २ ||भर घमंड ए काल न देख्यो, बिनु नूपुर नाचहिं बन मोरा || ३ ||बँटई...

View Article


----- ॥ दोहा-पद 11॥ -----,

-----|| राग मेघ-मल्हार || ----- साँझ सलोनी अति भाई | (  देखु माई )चारु चंद्र की कनक कनी सी बिंदिया माथ सुहाई || १ ||उरत सिरोपर सैंदूरि धूरि जगत लखत न अघाई || २ ||अरुन रथी की  रश्मि लेइ के बीथि बीथि...

View Article

----- ॥ दोहा-पद 12॥ -----

                 ----- || राग-दरबार || -----दीप मनोहर दुआरी लगे चौंकी अधरावत चौंक पुरो |हे बरति हरदी तैल चढ़े अबु दीप रूप सुकुँअरहु बरो ||पिय प्रेम हंस के मनमानस रे हंसिनि हंसक चरन धरो |रे सोहागिनि करहु...

View Article

----- ॥ दोहा-पद 13॥ -----,

               ----- || राग - भैरवी || -----पट गठ बाँधनि बाँध कै देइ हाथ में हाथ |बोले मोरे बाबुला जाउ पिया के साथ ||काहे मोहि कीजौ पराए, ओरे मोरे बाबुला जनम दियो पलकन्हि राख्यो जिअ तै रहेउ लगाए || १...

View Article


----- ॥ दोहा-पद 14॥ -----,

----- || राग-पहाड़ी || -----नीर भरी निरझरनी, पहाड़ानु छोड़ चली.., डब डब अँखियन ते लखे, बाबुल की प्यारी गली..,नैनन की नैया पलक पतवारा, हरियारे आँचल में अँसुअन की धारा..,  दोई कठारन दोई कहारा, दोई कहारन...

View Article

----- ॥ दोहा-पद १५ ॥ -----,

हाय भयो (रे)कस राम ए रोरा..,सांझ बहुरत बहुरेउ पाँखी, नभ सहुँ लाखै सहसै आँखी |रैन भई ना गयउ अँजोरा ||कहत दिवस सों साँझि रे पिया, झूठि आँच ते जरइहौ हिया |कन भरै मन मानै न तोरा  ||यहु तापन यहु बैरन रारी,...

View Article

----- ॥ दोहा-पद १६ ॥ -----,

बादहि बादल बजहि बधावा,पिया भवनन मोदु प्रमोदु मन सावन घन घमंडु भरि छावा || मंगल धुनि पूरत अगासा परत रे पनवा माहि घावा  |  हेरी माई देउ सगुनिया परिअ दुअरि दुलहिन के पाँवा ||  कंठि हारु कर करिअ निछावरि...

View Article


----- ॥ दोहा-पद १७ ॥ -----,

साँझ सैँदूरि जोहती पिया मिलन की रैन | हरिदय प्रीति बिबस भयो भयो पलक बस नैन || स्वजन सोँहि बैनत गए नैन पिया के पास | लखत लजावत पियहि मुख बिथुरी अधर सुहास || ना निलयन ते दूर हैं न नैनन ते दूर | सौमुख...

View Article


----- ॥ दोहा-पद १८ ॥ -----,

            ----- || राग-बिहाग | -----बाँध मोहि ए प्रेम के धागे प्यारे पिय पहि खैंचन लागे  |अँखिया मोरि पियहि को निरखे औरु निरखे नाहि कछु आगे ||निरखै ज्योंहि पिय तो सकुचै आनि झुकत कपोलन रागे |ढरती बेला...

View Article

----- ॥ दोहा-पद २० ॥ -----,

                   ----- ॥ गीतिका ॥ -----हरिहरि हरिअ पौढ़इयो, जी मोरे ललना को पलन में.,बल बल भुज बलि जइयो, जी मोरे ललना को पलन में., बिढ़वन मंजुल मंजि मंजीरी, कुञ्ज निकुंजनु जइयो, जइयो जी मधुकरी केरे बन...

View Article

----- ॥ दोहा-पद २० ॥ -----,

----- || राग -मेघमल्हार || -----आई रे बरखा पवन हिंडोरे,छनिक छटा दै घट लग घूँघट स्याम घना पट खोरे | छुद्र घंटिका कटि तट सोहे लाल ललामि हिलोरे ||सजि नव सपत चाँद सी चमकत, लियो पियहि चितचोरे |भयो अपलक पलक...

View Article

----- ॥ दोहा-द्वादश ५ ॥ -----

अजाति के उत्पाति पेखत अधुनै रोना सोए || १|| भावार्थ : - जातिवाद के उत्पात को देखकर कभी कबीरा रोया था | रोना अब भी वही है अंतर इतनाभर है की अब उत्पात अजातिवाद की पाँति द्वारा हो रहे हैं |गन मान धनि मानी...

View Article


----- ॥ दोहा-द्वादश 2 ॥ -----

जो जग धर जग हेतु कर लेन जोग सो नाम | जो जग जीवन जोइया करन जोग सो काम || १ || भावार्थ : - जो इस जगत के आधार स्वरूप है, जो जगत की उत्पत्ति के कारण व् कारक है उसी का नाम लेने योग्य हैं | जो इस जगत का तथा...

View Article

----- ॥ दोहा-द्वादश ५ ॥ -----

जाति-पाति उत्पाति लखि  कबहुँ कबीरा रोएँ |   अजाति के उत्पाति पेखत अधुनै रोना सोए || १|| भावार्थ : - जातिवाद के उत्पात को देखकर कभी कबीरा रोया था | रोना अब भी वही है अंतर इतनाभर है की अब उत्पात अजातिवाद...

View Article


----- ॥ दोहा-द्वादश ६ ॥ -----

अजहुँ जग बिपरीत भया उलट भई सब कान | पाप करे तो मान दे धर्म करे अपमान || १  || भावार्थ : - विद्यमान समय में जगत के सभी नीति नियम रीतिगत न होकर विपरीत हो चले हैं |  पाप करो तो यह सम्मानित करता है और यदि...

View Article

----- ॥ दोहा-द्वादश ७ ॥ -----,

असन बसन बर भूषना बैसे सब जग चाहि | ता हेतु श्रम करम अजहुँ करब चाहि को नाहि || १ ||भावार्थ : - वर्तमान समय के जनमानस को उत्तम उत्तम भोजन, उत्तम उत्तम वस्त्र,  भव्य भवन बैठे बैठे ही चाहिए | इस हेतु...

View Article


----- ॥ हर्फ़े-शोशा 7॥ -----

मौज़ूदा वक़्त-ए-तंग तू होजा ख़बरदार  |आने वालि नस्ल तिरी होगी फाँकेमार  || १-क ||जमीं के ज़ेबे तन की दौलतें बेपनाह |जिसपे एक ज़माने से है बद तिरी निगाह || ख ||बता के तू है क्या रोज़े हश्र का तलबग़ार |मौज़ूदा...

View Article

----- ॥ दोहा-द्वादश ८ ॥ -----

 हरि मेलिते खेवटिया छाँड़ा नहीँ सुभाए | जीउ हते हिंसा करे दूजे कवन उपाए || १ || भावार्थ : - भगवान के दर्शन होने पर भी केवट जाति ने अपने स्वभाव का त्याग नहीं किया वह अब भी जीवों की ह्त्या कर हिंसारत है...

View Article

----- ॥ हर्फ़े-शोशा 4॥ -----

सुपेदो-कोह की हद-बुलंदीसे चश्मे-हैवाँ के आगे.., सब्ज़े-मैदाँ की मुदाख़िल से ज़र्दे-सहराँ के आगे.., फ़रिश्ता-ए-ख़सलत के जेरोसाए में है दरीबां मिरा.., शादाबी सबाओं से शिगुफ़ता पा है ये बागबाँ मिरा..,...

View Article
Browsing all 283 articles
Browse latest View live


<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>