----- || राग - भैरवी || -----
पट गठ बाँधनि बाँध कै देइ हाथ में हाथ |
बोले मोरे बाबुला जाउ पिया के साथ ||
काहे मोहि कीजौ पराए,
ओरे मोरे बाबुला
जनम दियो पलकन्हि राख्यो जिअ तै रहेउ लगाए || १ ||
पौनन के डोला कियो रे बादल कियो कहार |
बरखा कर भेजी दियो बरसन दूज द्वार ||
मैं तोरी नैनन की बुंदिया पल पलकैं ढार ढरकाए || २ ||
देइ पराई देहरी दियो पिया के देस |
दूरत दुआरि आपनी पलक कियो परदेस ||
करे अँकोरी सनेह कर डोरी गोद हिंडोरी झुराए || ३ ||
नैनन को नैया कियो पलकन को पतवार |
पिय की नगरि भेजि दियो दए अँसुअन की धार ||
कहत ए नीर भरी निर्झरनि निज परबत ते बिहुराए || ४ ||
कै नैहर कै पिया घर बधियो दोइ किनार |
नदिया तोरी दोइ गति, कै इत पार कै उत पार ||
नैन घटा घन बरखत बाबुल रे लीज्यो मोहि बुलाए || ४ ||
पट गठ बाँधनि बाँध कै देइ हाथ में हाथ |
बोले मोरे बाबुला जाउ पिया के साथ ||
काहे मोहि कीजौ पराए,
ओरे मोरे बाबुला
जनम दियो पलकन्हि राख्यो जिअ तै रहेउ लगाए || १ ||
पौनन के डोला कियो रे बादल कियो कहार |
बरखा कर भेजी दियो बरसन दूज द्वार ||
मैं तोरी नैनन की बुंदिया पल पलकैं ढार ढरकाए || २ ||
देइ पराई देहरी दियो पिया के देस |
दूरत दुआरि आपनी पलक कियो परदेस ||
करे अँकोरी सनेह कर डोरी गोद हिंडोरी झुराए || ३ ||
नैनन को नैया कियो पलकन को पतवार |
पिय की नगरि भेजि दियो दए अँसुअन की धार ||
कहत ए नीर भरी निर्झरनि निज परबत ते बिहुराए || ४ ||
कै नैहर कै पिया घर बधियो दोइ किनार |
नदिया तोरी दोइ गति, कै इत पार कै उत पार ||
नैन घटा घन बरखत बाबुल रे लीज्यो मोहि बुलाए || ४ ||