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Channel: NEET-NEET
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---- || दोहा-एकादश || -----

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रत्नेस ए देस मेरा होता नहि दातार | 
देता सर्बस आपुना बदले माँगन हार || १ || 
भावार्थ :-- जो स्वयं को विकसित राष्ट्र कहने वालों को लज्जित होना चाहिए | उनकेयहाँ आपदाओं का कोई प्रबंधन नहीं है, धनी होकर भी संकट के समय वह हाथ पसारे फिरते  हैं | त्रिरत्न स्वामी मेरा यह देश यदि दातार नहीं होता तब जलमन्न रूपी वास्तविक  रत्नों के बदले ये अपना सर्वस देने को विवश हो जाते ||

किस काम के तुम्हारे ये बम.....? अब से हमको बिजनैस मत सिखाना.....

राजू : -- और इनको देखो ये मुंह और मसूर की दाल..... बम का ब भी नहीं है और बड़े दातार बने फिरते हैं.....

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