श्रम करम गौन करत तब भयऊ अर्थ प्रधान |
पददलित भए दीन हीन गहे मान धनवान || १ ||
भावार्थ : -- श्रम व कर्म को गौण कर जन संचालन व्यवस्था में अर्थ प्रधान हो गया, इस प्रधानता से दरिद्र पद दलित होने लगे व् धनाढ्य मान्यवर हो गए |
होइब अर्थ बिहीन जो जिनके भेस भदेस |
विलासित भवन तिन्हने निरुधित भयउ प्रवेस || २ ||
भावार्थ : -- अब जो कोई दरिद्र है जिसका भेष भद्दा है भव्य-भवनों एवं अर्थ पतियों के सभा-सदन में उसका प्रवेश निषिद्ध हो गया |
पददलित भए दीन हीन गहे मान धनवान || १ ||
भावार्थ : -- श्रम व कर्म को गौण कर जन संचालन व्यवस्था में अर्थ प्रधान हो गया, इस प्रधानता से दरिद्र पद दलित होने लगे व् धनाढ्य मान्यवर हो गए |
होइब अर्थ बिहीन जो जिनके भेस भदेस |
विलासित भवन तिन्हने निरुधित भयउ प्रवेस || २ ||
भावार्थ : -- अब जो कोई दरिद्र है जिसका भेष भद्दा है भव्य-भवनों एवं अर्थ पतियों के सभा-सदन में उसका प्रवेश निषिद्ध हो गया |