अबिकसित तन मति अरु मन बिनु कारज कुसलात |
अस जनमानस संग सो देस दरिद कू पात || १ ||
भावार्थ : -- जहाँ शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास से न्यून व् कार्य कुशलता के अभाव से युक्त जनमानस हो वह राष्ट्र दरिद्रता को प्राप्त होता है.....
जहँ नही मितब्यईता जहँ ब्यसन के बास |
जहँ कर उद्यम हीन तहँ दलिदर करे निवास || २ ||
भावार्थ : - जिस राष्ट्र में मितव्यविता न हो व्यसनों का वास हो, हस्त परिश्रम से हीन हों उस राष्ट्र में दरिद्रता निवास करती है.....
अस जनमानस संग सो देस दरिद कू पात || १ ||
भावार्थ : -- जहाँ शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास से न्यून व् कार्य कुशलता के अभाव से युक्त जनमानस हो वह राष्ट्र दरिद्रता को प्राप्त होता है.....
जहँ नही मितब्यईता जहँ ब्यसन के बास |
जहँ कर उद्यम हीन तहँ दलिदर करे निवास || २ ||
भावार्थ : - जिस राष्ट्र में मितव्यविता न हो व्यसनों का वास हो, हस्त परिश्रम से हीन हों उस राष्ट्र में दरिद्रता निवास करती है.....