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Channel: NEET-NEET
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----- ॥ उत्तर-काण्ड ३५ ॥ -----

मंगलवार, १६ जून २०१५                                                                                             दिए रघुबर सिय सिर सिंदूरी । भूर भुअन जिमि सस कर कूरी ॥ देख निहारिहि देखनहारे । निर्निमेष...

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----- ॥ उत्तर-काण्ड ३६ ॥ -----

बुधवार  ०१ जुलाई २०१५                                                                    धूर धूसरित पद तल छाला । गौर बरन मुख भए घन काला ॥ सिथिल सरीर सनेह न थोरे । दरसन प्रभु लोचन पट जोरे ॥ कुसल पथक...

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----- ॥ उत्तर-काण्ड ३७ ॥ -----

शुक्रवार, १७ जुलाई, २०१५                                                               बसेउ तहँ हरिभगत बिभीषन । बिप्र रूप धर गयउ पहिं हनुमन ।। दिए निज परिचय करे मिताई । हरिहिय सिय कहँ पूछ बुझाई ॥ कहए...

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----- ॥ स्वातंत्रता का मर्म । -----

चारि चरण जो चारिहैं सो तो धर्मी आहि । धरम धरम पुकार करे सेष सकल भरमाहि ।२८३६। भावार्थ : -- जो सत्य तप  दया व् दान का आचरण करता है वस्तुत: वही धर्मात्मा है धर्म धर्म की रट लगाए शेष सभी भ्रम की स्थिति...

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----- ॥ उत्तर-काण्ड ३८ ॥ -----

शनिवार, ०१ अगस्त २०१५                                                                                              धार बरस कस दस दस मारा । भयउ बिकल कपि बीर अपारा ॥ करत  घनाकर घनकन नाना । बाहि बिहुर...

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----- ॥ टिप्पणी ७ ॥ -----

जोइ है अरु जैसा है है सो अपने देस । पाप पोष बहु दोष किए कोइ पड़ा परदेस ।। ६ ॥ भावार्थ : --  जो है जैसा है वह अपने देश में ही है । कोई तो परदेश में पड़कर पाप को पोषित करते हुवे दोष पर दोष किए जा रहा है ॥  

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----- ॥ दोहा-पद॥ -----

              ----- ॥  हे  राम ! ॥ -----फटिक मनि रचना रचे, जहां न गोकुल धाम ।सो मंदर  खाली पड़े, बहिर हुए घनस्याम ॥बिना स्याम का मंदिर भगत नबैद चढ़ाएं ।भगतिहि  का पाखन करे, मीठे भोग उड़ाएँ ॥पापी पाप तजे...

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----- ॥ उत्तर-काण्ड २० ॥ ----

शुक्रवार, ०३ अक्तूबर, २०१४                                                                                               सकल रच्छक सह चले पीठे । तीरहि तीर तपो भुइ  डीठे ॥ कुंजरासन कुसा के छाईं । मुनि...

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----- ॥ उत्तर-काण्ड २१ ॥ ----

बृहस्पतिवार, १६ अक्तूबर, २०१४                                                                                          कहत सुमति हे सुमित्रानंदन । फिरत सरआति मुनिबर च्यवन ॥ फेर फिरत अगिन्हि कर धारे ।...

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----- ॥ उत्तर-काण्ड २२ ॥ -----

रविवार, ०२ नवम्बर, २०१४                                                                                                   दरस दुअरिआ महा रिषि आए । हरषत अगुबन  प्रभो उठि धाए ॥ पालउ हरित नयन भए थारे ।...

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----- ॥ उत्तर-काण्ड २३ ॥ -----

रविवार, १६ नवम्बर, २०१४                                                                                             सकल जगत जो रखे सुपासे, तहाँ सोए त्रय लोकि निबासे ॥ मोर करे सत करम प्रभावा । द्वारवती...

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----- ॥ उत्तर-काण्ड २ ४ ॥ -----

बजइहि बजौनि बिबिध बजाने । भेरी तुरही पनब निसाने ।।  गहगह गगन धुनी घन  होई । ब्रम्हानंद मगन सब कोई॥ बजे संख कतहुँ कल कूनिका । मिलि मंगल तान सुर धूनिका ॥ भयउ भृंग बहु रंग बिहंगे । गूँजत कूँजत चले प्रसंगे...

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----- ॥ उत्तर-काण्ड २५ ॥ -----

तेहि समु एक जान मनोहर । देऊ लोक सों आन धरा पर ॥ हंस रूप उजरित मनियारा । चले पुलकस बैकुन द्वारा ॥ उसी समय देव लोक से एक मनोहारी विमान धरती पर उतरा जो हंस के समरूप उज्जवल था उसपर विराजित होकर पुल्कस्...

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----- ॥ उत्तर-काण्ड २६ ॥ -----

 बृहस्पतिवार, ०१ जनवरी, २०१५                                                                                     मत्स्यावतार तुम्ह धारे । श्रुति रच्छत संखासुर मारे ॥ माह पुरुख तुम सब कुल मूला । तुहरए...

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----- ॥ ज्ञान -गंगा ॥ -----

"आत्महत्या यद्यपि एक अपराधिक कृत्य है तथापि वह  दंडनीय नहीं है ॥ यह एक समस्या है कार्य कारन व् निवारण ही इसका समाधान है " करतन कारन फल संग जग अपकीरिति होइ । बय भय सँग स्वनिर्यनै ,प्रान हनै निज कोइ...

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----- ॥ टिप्पणी १ ॥ -----

ऐसा करते हैं देश के करदाता कर न दे कर प्राइम मिनिस्टर व् उनके मिनिस्टरों को कच्छे बंडी, चोगे,  कुर्ते चादर उपहार में दे देते हैं फिर वो उसका उपयोग कर बोली लगाएंगे, दस टके का कच्छा दो सौ में बिकेगा........

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----- ॥ उत्तर-काण्ड २७-२८ ॥ -----

सोम / मंगल , १६ /१७ फरवरी २०१५                                                                                जर जर जब ज्वाल उत्तोले  । पुष्कल रकत कमल मुख बोले ॥ मोरे बान ए  तुहरी देही । खैंच तहँ सोन...

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----- ॥ हर्फ़े-शोशा 2॥ -----

मर्ज़ तिरा ज़ियाबर्तानिशी है ?दो गज़ की तिरी हैसीयत नहीँ है..... ज़िया बैतिशी = मधुमेह ----------------------------------------------------------------------------------------अपनी इज्जत अपने हाथ जोंग...

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----- ॥ टिप्पणी ३ ॥ -----

>>   कृषि उत्पाद ही वास्तविक उत्पाद है यह कौशल से उत्पन्न किए जाते है अत: कृषि कर्म एक उद्यम है । वनोपज भी उत्पाद की श्रेणी में आते हैं चूँकि यह प्राकृतिक उत्पाद है अत: इसे उद्यम से प्राप्त...

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----- ॥ उत्तर-काण्ड ३९ ॥ -----

बुधवार ०२ सितम्बर २०१५                                                                           सुरतत पुनि पुनि मुनि के बचना । मिटी गयो कुतरक के रचना ॥ मैं प्रनमत सिरु दुहु कर जोरें । तदनन्तर मुनि चरन...

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