जिउ हते न हिंसा करें देय ना केहि सूल |
धर्म बरती रहत गहैं साक पात फल फूल || १ ||
भावार्थ : - किसी जीव की हत्या न किसी की हिंसा करें ही किसी को कष्टापन्न करें | हमें धर्मानुकल आचरण करते हुवे अपने आहार में शाक पात फल फूल ही ग्रहण करना चाहिए |
अभेद नीति न जानिहै का कंचन का काँच |
धौल कहा रु काल कहा कहा झूठ का साँच || २ ||
भावार्थ : - स्वर्ण क्या है और कांच क्या है धवला क्या है काला क्या है सत्य क्या असत्य क्या है, अभेद नीति को यह ज्ञात नहीं होता |
काया
धर्म बरती रहत गहैं साक पात फल फूल || १ ||
भावार्थ : - किसी जीव की हत्या न किसी की हिंसा करें ही किसी को कष्टापन्न करें | हमें धर्मानुकल आचरण करते हुवे अपने आहार में शाक पात फल फूल ही ग्रहण करना चाहिए |
अभेद नीति न जानिहै का कंचन का काँच |
धौल कहा रु काल कहा कहा झूठ का साँच || २ ||
भावार्थ : - स्वर्ण क्या है और कांच क्या है धवला क्या है काला क्या है सत्य क्या असत्य क्या है, अभेद नीति को यह ज्ञात नहीं होता |
काया